Why did Rabindranath Tagore Established Shantiniketan

Why did Rabindranath Tagore Established Shantiniketan (रवींद्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन की स्थापना क्यों की?)

Why did Rabindranath Tagore Established Shantiniketan – रबीन्द्रनाथ टैगोर और शांतिनिकेतन के बारे में कंप्लीट जानकारी….

शांतिनिकेतन वेस्ट बंगाल में कोलकाता से लगभग 150 किलोमीटर दूर बीरभूम जिला में एक छोटा सा जगह का नाम था जोकि बोलपुर के पास पड़ता है शांतिनिकेतन एक छोटा सा टाउन जो आज ना केवल पश्चिम बंगाल बल्कि पूरे विश्व में एक अपना सांस्कृतिक, शैक्षिक एवं ऐतिहासिक महत्व रखता है जो रविंद्र नाथ टैगोर का कर्मभूमि भी है या छोटा सा टाउन शांतिनिकेतन रविंद्र नाथ की विश्वव्यापी सोच कला एवं संस्कृति के प्रति टैगोर का समर्पण इत्यादि को दर्शाता है

रविंद्र नाथ टैगोर शांतिनिकेतन को एक यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित करना चाहते थे माना जाता है कि 1862 रविंद्र नाथ टैगोर के पिता देवेंद्र नाथ टैगोर ने इस खूबसूरत जगह को बसाया और इस जगह का नाम शांतिनिकेतन दिया यह जगह काफी शांत और खूबसूरत होने की वजह से रविंद्र नाथ टैगोर के पिता देवेंद्र नाथ टैगोर ने इस जगह का नाम शांति निकेतन रखा फिर ए 1963 मैं देवेंद्र नाथ टैगोर ने यहां पर एक आश्रम का निर्माण करवाया जहां से ब्रह्मा समाज का काम होता था फिर 1901 में रविंद्र नाथ टैगोर ने यहां पर 5 छात्र एवं 5 टीचर के साथ एक स्कूल का निर्माण करवाया जिनका नाम ब्रह्माचार्य आश्रम था इस स्कूल प्राचीन शिक्षा प्रणाली मॉडल गुरुकुल जैसा चलता था जहां एक शांत एवं नेचुरल इन्वायरमेंट में शिक्षार्थियों को नेचर कला साहित्य एवं ना केवल धार्मिक बलके इससे पड़े भविष्य की सोच से प्रेरित शिक्षा प्रदान की जाती थी बताया जाता है कि रविंद्र नाथ का सोच हमेशा एक मानवतावादी अंतर्राष्ट्रीय वादी एवं सभी धर्म के प्रति एक अच्छा व्यवहार एवं मानव हितों की रक्षा कायम कर सबको को साथ लेकर शिक्षा को विश्वव्यापी रूप में विकसित एवं शिक्षार्थियों को भविष्य की शिक्षा की ओर प्रेरित करना, शांतिनिकेतन का मुख्य उद्देश्य एवं रविंद्र नाथ टैगोर का सोच को दर्शाता है यह शांतिनिकेतन का गुरुकुल आगे चलकर 1921 में विश्व भारती विश्वविद्यालय के रूप में विकसित किया गया रविंद्र नाथ टैगोर को जब 1913 में नोबेल प्राइज प्रदान किया गया तब शांतिनिकेतन को बहुत ज्यादा ख्याति प्रदान हुई एवं रविंद्र नाथ टैगोर के द्वारा इकट्ठे के गए सारे धन इसी विश्वविद्यालय स्कूल के विकास में लगाया गया शांतिनिकेतन में एक उत्तरायण कंपलेक्स हुआ करता था जहां रविंद्र नाथ टैगोर रहा करते थे और बताया जाता है कि यही एकांत में वह अक्सर कविताओं का रचना क्या करते थे शांतिनिकेतन में रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय में कई परिसर है रविंद्र आश्रम कलाकृति पवन इत्यादि रविंद्र नाथ टैगोर के द्वारा साहित्य के क्षेत्र में किए गए कार्य उनके देश भक्ति अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक महत्व उनके राष्ट्रीय आंदोलन में किए गए कार्य एवं विभिन्न समाजिक गतिविधि ब्रह्म समाज स्वामी स्वामी विवेकानंद द्वारा किए गए कार्य आदि में रविंद्र नाथ टैगोर का अहम योगदान रहा है उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज विश्व भारती विश्वविद्यालय रविंद्र नाथ टैगोर की कठिन परिश्रम एवं सोच का प्रतिफल है जहां से आज हजारों की संख्या में परीक्षार्थी विद्यार्थी उस परंपरा को आगे बढ़ाते हैं तो इस प्रकार शांतिनिकेतन की स्थापना एवं उनका जर्नी रहा है

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रविंद्र नाथ टैगोर के वियक्तित्व, विचार एवं योगदान (Rabindranath Tagore Biography )

 

इस आर्टिकल में हम आगे चर्चा करेंगे रविंद्र नाथ टैगोर और उनसे जुड़े कुछ कहानियों के बारे में खास करके रविंद्र नाथ टैगोर का शांतिनिकेतन मैं योगदान एवं विचार, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उसका योगदान, साहित्य एवं कला के क्षेत्र में उनके योगदान, उनका अंतरराष्ट्रीय पहचान एवं एक एक प्रसिद्ध लेखक जिन्होंने विश्व पटल पर भारत को पहचान दिलाया

 

  • भारत के राष्ट्रीय गान जन गण मन लिखा,
  • ना केवल भारत के बलके बांग्लादेश का भी राष्ट्रीय गान आमार सोनार बांग्ला के लेखक रविंद्र नाथ टैगोर ही थे
  • रविंद्र नाथ टैगोर की व्यक्तित्व भारत तक ही सीमित नहीं था वह एक प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय आइकॉन भी थे
  • रविंद्र नाथ टैगोर ना केवल भारत के बल के एशिया के पहले नोबेल प्राइज विनर थे
  • रविंद्र नाथ टैगोर जिन्हे अपनी कविताओं का संग्रह गीतांजलि के लिए 1913 में नोबेल प्राइज हासिल किया था
  • रविंद्र नाथ टैगोर का पहचान एक लाजवाब लेखक पेंटर, फ्रीडम फाइटर, म्यूजिशियन, समाज सुधारक, मानवतावादी, शिक्षा सुधारक, राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रिय रही है
  • उन्होंने दो हजार से ज्यादा गाने लिखे और उन्होंने 300 से ज्यादा आर्टवर्क किए
  • वह एक बड़े दार्शनिक एवं ट्रैवलर थे जिन्होंने  34 से ज्यादा देशों में भ्रमण किया
  • अपने बहू विशेषताओं एवं चमत्कारी व्यक्तित्व की वजह से विश्व विख्यात हुए उनका व्यक्तित्व सिर्फ नेशनलिज्म ही नहीं बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय पहचान वाले व्यक्ति थे
  • उनका मानना था कि पूरे विश्व को एक ही नजरिया से देखी जानी चाहिए उन्होंने अपनी भाषा सहित्या कला और जमीनी पकड़, समकालीन बड़े राजनीतिज्ञों से अच्छे संबंध एवं स्वतंत्रता संग्राम प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय चेहरा थे
  • रविंद्र नाथ टैगोर को एक बड़े सोशल रिफॉर्मर के रूप में भी जाना जाता है उनके संबंध राजा राममोहन राय स्वामी विवेकानंद महात्मा गांधी आदि बड़े नेताओं व समाज सुधारक से अच्छे थे
  • रविंद्र नाथ टैगोर एक बड़े व्यापारिक एवं समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखते थे वह एक ब्राह्मण भी थे
  • बचपन में रविंद्र नाथ टैगोर का सरनेम रवींद्रनाथ कोसारी जो ठाकुर परिवार कहे जाते थे परंतु माना जाता है कि अंग्रेज रविंद्र नाथ टैगोर का नाम का सही से उच्चारण नहीं कर पाते थे जिसकी वजह से उन्हें टैगोर के नाम से पुकारते थे और वहीं से रविंद्र नाथ को टैगोर के रूप में प्रसिद्धि मिली
    रविंद्र नाथ टैगोर के दादा द्वारका प्रसाद टैगोर थे जो एक बड़े उद्योगपति उस जमाने की हुआ करते थे रविंद्र नाथ टैगोर का संबंध राजा राममोहन राय सराय से भी काफी अच्छे थे उनके समाज सुधारक कार्य में भी रविंद्र नाथ टैगोर ने अपनी भूमिका निभाई थी
  • रविंद्र नाथ टैगोर को बचपन में पढ़ाई में मन नहीं लगता था उनके पिता के लाख कोशिश के बावजूद भी रविंद्र नाथ टैगोर का मन पढ़ाई में नहीं लगता था जिसके कारण वह लगातार स्कूल बदलते रहते थे कभी कोलकाता एकेडमी तो कभी ओरिएंटल सेमिनरी तो कभी सेंट जेवियर स्कूल फिर भी उन्होंने स्कूल ड्रॉप आउट कर दिया तब उनके अरे भाई हेमेंद्र नाथ टैगोर ने उन्हें पढ़ाई का जिम्मेदारी देते हुए ऐसा कई कदम उठाए इन्हें घर में रहकर अच्छे-अच्छे उस्तादों से सभी सब्जेक्ट के शिक्षा दिलाई और इन्हें फिजिकल शिक्षा का भी तालीम दिया फिर बाद में इतना ही नहीं कई प्रसिद्ध म्यूजिशियन जैसे जादू नाथ भट्टाचार्य जैसे परखियात म्यूजिशियन से म्यूजिक सिखाने के लिए आया करते थे
  • जब रविंद्र नाथ टैगोर की उम्र 12 साल के थे तब उनके पिता ने उन्हें एक जर्नी पर लेकर गए उन्हें शांतिनिकेतन का शेर कराया अमृतसर गोल्डन टेंपल में भी उन्हें ले गए इतना ही नहीं बल्कि उन्हें हिमालय का भी शेर कराया
  • उसके बाद रविंद्र नाथ टैगोर आगे की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए जहां यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से उन्होंने कानून की पढ़ाई की परंतु इसमें भी उसका मन नहीं लगा और वह कॉलेज से ड्रॉपआउट कर गए
  • उसके बाद से वह इंग्लिश लिटरेचर म्यूजिक आदि के संपर्क में आए उन्होंने इंग्लिश लिटरेचर की स्टडी की यूरोपियन म्यूजिक आदि का भी उन्होंने अध्ययन किया धीरे-धीरे उनका इंटरेस्ट लिटरेचर एवं म्यूजिक में तब्दील होता गया क्योंकि वह कम उम्र से ही कविताओं का लेखन शुरू कर दिया था और उन्होंने म्यूजिक कंपोजिंग भी शुरू कर दिया था काफी सारे उन्होंने म्यूजिक को गाए थे माना जाता है कि उस जमाने में स्वामी विवेकानंद को भी उन्होंने गाना सिखाया था रविंद्र नाथ टैगोर का म्यूजिक कंपोजिंग में इंडियन एवं वेस्टर्न कल्चर का मिक्सिंग को देखा जा सकता है
  • रविंद्र नाथ टैगोर ने बहुत कम उम्र से ही नोबेल लिखना शुरू कर दिया था उन्हीं में से कविता नॉवेलों का संग्रह उनका गीतांजलि था जिन का इंग्लिश में अनुवाद अन किया गया और उनका नोबेल गीतांजलि कितना उपस्थित हो गया कि रविंद्र नाथ टैगोर को साहित्य में अंतरराष्ट्रीय पहचान मिला और परिणाम स्वरूप रविंद्र नाथ टैगोर एशिया के एवं भारत के पहले साहित्यकार थे जिन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार गीतांजलि के लिए मिला था
  • गीतांजलि के लिए 1913 में उन्हें साहित्य का नोबेल प्राइज मिला वो इसे पाने वाले पहले एशियाई भारतीय थे
  • रविंद्र नाथ टैगोर – जन्म 07 मई 1861 , Kolkata
  • Dead – 07 अगस्त 1941 , Kolkata
  • Wife Name – मृणालिनी देवी
  • Father – देवेंद्र नाथ टैगोर
  • वियक्तित्व : लेखक, संगीतकार,कवि, चित्रकार, नाटककार, ..etc
  • विश्व भारती विश्वविद्यालय के संस्थापक
  • एकला चलो रे चलो रे प्रसिद्ध कविता रविंद्र नाथ टैगोर की कीर्ति है
  • रविंद्र नाथ टैगोर को ही रविंद्र नाथ ठाकुर और गरुदेव के नाम से जाना जाता है

वीन्द्रनाथ टैगोर की मुख्य कृतियाँ निम्न है

  • गीतांजलि
  • शिशु भोलानाथ
  • पूरबी प्रवाहिन
  • वनवाणी
  • महुआ
  • पुनश्च
  • परिशेष
    क्षणिका
  • कणिका
  • गीतिमाल्य
  • चोखेरबाली

 

Why did Rabindranath Tagore Renounced his Knighthood

रवींद्रनाथ टैगोर ने नाइटहुड की पदवी क्यों छोड़ी?

रविंद्र नाथ टैगोर का वियक्तित्व लेखक, संगीतकार,कवि, चित्रकार, नाटककार आदि का है उनकी कविता आजादी, देश भक्ति एवं विश्व भक्ति पूरा विश्व एक परिवार के तौर पर झलकती है 1905 में जब अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया रविंद्र नाथ टैगोर ने एक गाना लिखा था जिसका नाम था आमार सोनार बांग्ला वही आमार सोनार बांग्ला जो आज बांग्ला देश की राष्ट्र गैन है रविंद्र नाथ टैगोर इतने प्रसिद्ध चेहरा बन गए थे ब्रिटेन की सरकार ने उन्हें नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया था परंतु जब 1919 में जालियांवाला नरसंहार अंग्रेजो के द्वारा किया गया था तब रविंद्र नाथ टैगोर ने दुखी होकर नाइटहुड की उपाधि वापस कर दी थी

एकला चलो रे चलो रे प्रसिद्ध कविता रविंद्र नाथ टैगोर की कीर्ति है इसका मतलब है कि विपरीत परिस्थिति में भी आदमी चाहे तो अकेला चल कर भी बहुत कुछ कर सकता है रविंद्र नाथ टैगोर का महात्मा गांधी के साथ कई मुद्दों पर विचारिक मतभेद होने के बावजूद भी एक दूसरे की अच्छे सपोर्टर भी थे जहां महात्मा गांधी देसी उत्पाद एवं स्वदेशी पर काफी केंद्रित थे तो वही रवीना टैगोर देशभक्ति के अलावा एक अंतरराष्ट्रीय विचार भी रखते थे इसका मतलब यह है कि पूरा विश्व एक समान हो ऐसा न लगे कि हमारा देश सबसे अच्छा है केवल और बाकी देश एक दूसरे देश के लोग से नफरत करने लगे वह मानवतावादी विचारधारा पर विश्वास करते थे वह काफी स्प्रिचुअल और बंगाली भाषा से काफी प्रेम करते थे
रविंद्र नाथ टैगोर को ही रविंद्र नाथ ठाकुर और गरुदेव के नाम से जाना जाता है

 

Conclusion : रविंद्र नाथ टैगोर एक ऐसा व्यक्तित्व जिन्होने अपने बहुआयामी काम, आधुनिकतावादी विचार,मानवता, कला, लेखक, संगीतकार,कवि, चित्रकार, नाटककार, समाजसुधारक योगदान एवं शिक्षा में उनके योगदान के वजह से विश्व प्रख्यात हुवे और देश का नाम रौशन किया जिनके लिखे गीतांजलि कीर्ति को 1913 में भारत को पहला साहित्य का नोबेल दिलाए उम्मीद है आप को भी इस लेख से कुछ प्रेरणा मिली होगी धन्यवाद !

FAQs

 

Question : शांतिनिकेतन का अर्थ क्या है?

Ans : शांतिनिकेतन का अर्थ शांति भरा घर है

Question :शांतिनिकेतन के संस्थापक कौन हैं?

Ans:
शांतिनिकेतन का संस्थापक गुरुदेव रबिन्द्र नाथ टैगोर थे established 1901

सवाल : शांतिनिकेतन किस राज्य में है?
उत्तर : पश्चिम बंगाल

सवाल : टैगोर की पहली कविता कौन सी थी?
उत्तर : अभिलाष

सवाल : रवींद्रनाथ टैगोर को किस पुस्तक के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था?

उत्तर : गीतांजलि , 1913 में , भारत के नोबेल प्राइज पाने वाले पहले व्यक्ति थे

सवाल : राष्ट्रगान जन गण मन किसने लिखा?
उत्तर : Rabindranath Tagore

 

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