Sorrow of Bihar

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कोसी नदी को बिहार का शोक (Sorrow of Bihar ) और बिहार काअभिशाप क्यों कहा जाता है

इस को समझने के कोसी नदी को बिहार का शोक (Sorrow of Bihar ) or बिहार काअभिशाप क्या कहा जाता है इस आर्टिकल आप को पड़ना चाहिए इस से आप न केवल Sarrow of Bihar, Kosi River (कोसी नदी)  बल्कि बिहार का नदियों से जोड़ा कोई भी सवाल को आप आसानी से कर लेंगे

बिहार की नदियां यह एक ऐसा टॉपिक है जो बिहार में होने वाली सभी प्रतियोगिता के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है शायद ही कोई ऐसा प्रतियोगिता बिहार में आयोजित होता होगा जिसमें बिहार की नदियों, जलाशय ,नहर परियोजना, और इससे जुड़े जल परियोजना से सवाल ना आता हो आज हम इस आर्टिकल में इन विषय को इस तरह से चर्चा करने की कोशिश करेंगे ताकि बिहार की नदियां और इससे जुड़े किसी भी तरह का प्रश्न आए उसे बेहद आसानी से आप हल कर सके

पहले आप इस मैप को देखिए

 

  • बिहार के बीचो बीच गंगा नदी है
  • गंगा नदी से उत्तर के भूभाग को उत्तर बिहार और गंगा से दक्षिण भूभाग को दक्षिण बिहार कहा जाता है
  • बिहार में नदियों को दो काटेगोरी में बता गया है उत्तर बिहार की नदियाँ और दक्षिण बिहार की नदियाँ
  • उत्तर बिहार की नदिया को हिमालय श्रेणी की नदिया कहा जाता है
  • दक्षिण बिहार की नदियाँ को पठारी नदी कहा जाता है
  • उत्तर बिहार की नदिया उत्तर से बहती हुई दक्षिण पूर्व की ओरबहती हुई गंगा में मिलती है
  • दक्षिण बिहार की नदियाँ दक्षिण से बहती हुई उत्तर पूर्व की ओर बहती हुई गंगा में मिलती है

बिहार की नदियों और उससे जुड़े सभी तरह के सवाल को समझने के लिए आपको सबसे पहले बिहार का मैप को समझना पड़ेगा दरअसल बिहार का बीचो बीच से होकर गंगा नदी गुजरती है जो उत्तर प्रदेश राज्य से होकर बक्सर के पास बिहार में इंट्री करती है और फिर कई जिलों से होकर के यह नदी बंगाल राज्य होते हुए बंगाल की खाड़ी में जाती है बिहार राज्य को यह नदी यानी गंगा नदी लगभग बीचो-बीच एक 445 km लम्बा रेखा के रूप बिहार को दो भागों में बांटती है जिससे उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के नाम से हम जानते हैं

और जहां तक नदियों की बात करें तो उत्तर बिहार में जो भी नदी बहती हुई गंगा में मिलती है वह ज्यादातर नदियां नेपाल की हिमालय रेंज की पहाड़ियों से निकलती हुई और बिहार के कई जिला होते हुए गंगा नदी में अलग-अलग जगहों पर मिलती जाती है इन सभी नदियों को जो नेपाल के हिमालय पर्वत से निकलकर बिहार के कई जिलों से होकर बहती हुई गंगा में मिलती है इन सभी नदियों को हिमालय रेंज की नदियां कहते हैं ठीक इसके विपरीत वह नदी जो दक्षिण बिहार में बहती है वह नदी पठारी नदी के रूप में जाना जाता है और दक्षिण बिहार की नदी उत्तर बिहार में बहने वाली नदी के विपरीत दिशा में बहती हुई गंगा में मिलती है यह नदियां यानी कि दक्षिण बिहार में बहने वाली ज्यादातर नदियां झारखंड मध्य प्रदेश आदि जगहों से होते हुए बिहार में इंटर करती है और फिर गंगा में मिल जाती है

उत्तर बिहार की नदियां उत्तर से दक्षिण पूर्व और दक्षिण बिहार की नदियां दक्षिण से उत्तत पूर्व की और क्यों बहती है

अब सवाल यह उठता है कि उत्तर बिहार में बहने वाली नदी उत्तर से दक्षिण पूर्व की ओर बहती हुई गंगा में मिल मिल जाती है और दक्षिण बिहार में ठीक उससे विपरीत दिशा में यह नदियों उत्तर पूर्व की दिशा में क्यों बहती है इसका सीधा सा जवाब यह है कि बिहार के बीचो-बीच गंगा बहती है और बिहार की ज्योग्राफिकल बनावट और भूमि का ढलान दोनों तरफ से उठा हुआ है और बीच में नीचे की तरफ यानी दोनों तरफ ऊंचा और बीच में थोड़ा नीचे है यानी कि दोनों साइड का ढलान बीच की ओर है इस वजह से उत्तर बिहार से आने वाली नदियां भी गंगा में मिलती है और पश्चिम विहार से बहकर आने वाली नदियां भी गंगा में ही मिलती है

बिहार में बहने वाली नदियों को 2 कैटेगरी में बांटा जाता है पहला हिमालयन कैटेगरी की नदी दूसरा पठारी है नदी उत्तर बिहार में बहने वाली ज्यादातर नदियां हिमालय रेंज की नदी है और दक्षिण बिहार में बहने वाली नदियां पठारी नदी कहलाते हैं

हिमालय श्रेणी की नदिया (उत्तर बिहार की प्रमुख नदियाँ )

  • घाघड़ा or सरयू
  • गंडक
  • बूढ़ी गंडक
  • बागमती
  • कमला
  • कोसी (Sorrow of Bihar )
  • महानंदा

पठारी श्रेणी की नदियां (दक्षिण बिहार की प्रमुख नदियाँ )

  • कर्मनाशा
  • सोन
  • पुनपुन
  • पाल्गु
  • कियूल
  • अजय

 

Kosi River –  कोसी नदी (Why Kosi is Called Sorrow of Bihar )

 

कोसी नदी अपने तेज जल बहाव, मार्ग बदले , मिट्टी कटाव, और बड़े पैमाने में सैलाब से उत्तर बिहार में तबही मचने के कारण बिहार का शोक सॉरो 

ऑफ़ बिहार , (Sorrow of Bihar) या बिहार का अभिशाप से समबोधित क्या जाता है

कोसी नदी नेपाल की हिमालय पहाड़ी सप्तकोशी की नाम की जगह से निकलती है और भीम नगर होते हुए भारत में प्रवेश करती है
कोसी नदी की ख्याति ज्यादा बाड़ के वजह से है कोसी नदी काफी बाड़ के लिए काफी अधिक प्रसिद्ध है और बाड़ से तबाही भी यह नदी उत्तर बिहार के इलाके में लाती है जिस वजह से इस नदी को बिहार का शोक या अभिशाप से नाम से भी जाना जाता है परंतु कोसी नदी का दूसरा भी पहलु है कोसी नदी अपने साथ काफी अधिक मात्रा में उपजाऊ मिट्टी बहाकर साथ लती है और बड़े भूभाग में इस मिट्टी को फैलाती है जिसकी वजह से कोसी नदी से कोसी तटीय इलाके में जमीन काफी उपजाऊ बन जाता है इतना ही नहीं बल्कि कोसी नदी पर नदी पर एक नदी परियोजना Rajpur भी है जिससे बड़ी मात्रा में सिंचाई का भी काम लिया जाता है कोसी नदी का काफी पुराना इतिहास भी है कोसी नदी को महाभारत काल में शप्तकोसी शब्द से जाना है

कोसी नदी कोसी नदी बिहार में सबसे प्रसिद्ध नदी है जो बिहार का शोक के नाम से जाना जाता है काफी बार और तबाही और मार्ग बदलने के नाम से इनका नाम मशहूर है

कोसी नदी का ही सहायक नदी

  • बागमती
  • कमला

यह दोनों नदी कोसी नदी की सययक नदी है इस के मिलने के बाद कोसी का जल धरा में इजाफा होता है और साथ बहती हुई गंगा नदी में मिलती है

Kosi Barrage

कोसी नदी एक बैराज का निर्माण भारत नेपाल बॉर्डर के पास नेपाल में है जो भारत सरकार 1958 -1962 किया था किसका प्रबंधन भारत सर्कार करती है

कोशी नदी तक़रीबन 2,166 क्यूबिक मीटर/ s औसतन वाटर प्रवाह डिस्चार्ज है।
बाढ़ के मौसम के दौरान यह नदी प्रवाह औसतन लगभग 18 गुना तक बढ़ा देता है
24 Aug 1954 को सब से अधिक धरा परवाह दर्ज किया गया था जो एक रिकॉर्ड है  24,200 m3/sec
कोशी बैराज का अधिकतम कैपेसिटी 27,014 m3/s उच्चतम बाढ़ के लिए तैयार किया गया है।

कोसी बैराज अब तक सात बार टूट चुकी है

कोसी नदी घाटी परियोजना का उद्देशय- कोसी नदी घाटी परियोजना कब आरंभ हुआ

कोसी नदी घाटी परियोजना के तीन प्रमुख्य उद्देश्य है

  • 1954 में भारत और नेपाल सरकार ने एक समझौता किया जिसके अनुसार बाँध निर्माण कराया गया
  • बाड़ को नियंत्रित करना
  • जल का सिचाई के लिए उपयोग करना
  • बिजली निर्माण

महानंदा नदी

एक और प्रमुख नदी है महानंदा नदी यह नदी भी नेपाल की पहाड़ियों से निकलती हुई बिहार के कटिहार में गंगा में मिलती है यानी कि कुल मिलाकर अगर हम देखें तो उत्तर बिहार में बहने वाली प्रमुख नदियों में घाघरा गंडक बूढ़ी गंडक बागमती कमला कोसी और महानदी है इसके अलावा भी कुछ छोटे एवं सहायक नदियां हैं लेकिन मुखयतः यह नदियां काफी प्रसिद्ध है यानी अगर आप बिहार के मैप को देखेंगे तो उत्तर बिहार में सबसे पश्चिम में बहने वाली नदियां घाघरा और सबसे पूर्व में बहने वाली नदी महानदी है

उत्तर बिहार क्यों फेमस है

बिहार की नदियों को 2 भाग दो भागों में बांटा जा सकता है पहला भाग वह नदी जो नेपाल की शिवालिक श्रेणी की हिमालय पर्वत से निकलकर उत्तर बिहार के कई जिलों से होते हुए गंगा में मिलती है वह सब नदियों को हिमालयन नदी कहा जाता है ज्यादातर हिमालयन नदी उत्तर से बहती हुई दक्षिण पूर्व की ओर गंगा में मिल जाती है हिमालयन नदी उत्तर बिहार में बहती है उत्तर बिहार की नदियां काफी प्रसिद्ध है क्योंकि यह नदियां मैं सालों भर जल बहता है और बारिश के मौसम में बार से तबाही मचाता है बिहार के उत्तर बिहार क्षेत्र नदियों के वजह से काफी प्रसिद्ध है उत्तर बिहार में बहने वाली नदियों में काफी जलस्तर रहता सालों भर, और सैलाब के मौसम में तो यह नदियां उफान पर रहता है और अपने जल धाराओं, तूफानी जल धाराओं और सैलाब की वजह से काफी बड़े एरिया में तबाही मचाता है और यह नदियां में कटान काफी होता है एवं रास्ता बदलने में काफी मशहूर है इन नदियों में सबसे प्रमुख नदी का नाम कोसी नदी का है जो अपने मार्ग बदलने में प्रसिद्ध है और बाढ़ से काफी कहर मचाती है इस कारणवश कोसी नदी को बिहार का अभिशाप या बिहार का शोक कहा जाता है उत्तर बिहार में दक्षिण बिहार की तुलना में नदियों की संख्या अधिक है इन्हीं सब वजहों से उत्तर बिहार बाढ़ के लिए प्रसिद्ध है

अतः मुख्य रूप से उत्तर बिहार बाढ़ के लिये प्रसिद्ध है

और वही अगर हम दक्षिण बिहार की बात करें तो दक्षिण बिहार में उत्तर बिहार की तुलना में नदियों की संख्या कम है और इन नदियों में बारिश का मौसम को छोड़ दें तो जल की मात्रा काफी कम रहती है जिससे कारण दक्षिण बिहार का बड़ा हिस्सा सूखे की चपेट में रहता है इसीलिए दक्षिण बिहार सूखे लिए प्रसिद्ध है और जबकि उत्तर बिहार बाढ़ के लिए प्रसिद्ध है

Ganga River in Bihar – बिहार में गंगा नदी का महत्व

गंगा नदी गंगा नदी जो बिहार का लाइफ लाइन कही जाती है बिहार की एक बहुत बड़ी आबादी गंगा नदी पर निर्भर करती है यानी कि बिहार के बीचो बीच बहने वाली गंगा नदी बिहार में 445 किलोमीटर लंबी है और यह नदी लोगों के कृषि, एवं व्यापार आदि में बड़ी भूमिका निभाती है
गंगा नदी का कुल लंबाई 2525 किलोमीटर है परंतु बिहार में इसकी कुल लंबाई 445 किलोमीटर है
बिहार में गंगा नदी पश्चिम से पूरब की तरफ बहती हुई बंगाल की खाड़ी में चली जाती है

बिहार के कई बड़ी शहर जैसे पटना भागलपुर आदि गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है

बिहार में गंगा नदी का बड़ा योगदान है सिंचाई से लेकर जल जल संसाधन की आपूर्ति में गंगा नदी बिहार के अर्थव्यवस्था को एक बड़ा योगदान देता है बिहार की अर्थव्यवस्था खास करके गंगा नदी पर काफी निर्भर करता है

 

बिहार की कौन-कौन सी नदी है जो उत्तर प्रदेश के साथ कुछ दूर तक बॉडर निर्माण करती है

पहला नदी उत्तर बिहार की घाघरा नदी यूपी को उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के नाम से जाना जाता है यूपी से बिहार इंटर करती है और सारण में गंगा नदी में मिल जाती है यही सरयू नदी बिहार में घाघरा नदी के नाम से जाना जाता है घाघरा नदी कुछ दूर तक यूपी और बिहार के बॉर्डर निर्माण भी करती है

दूसरी नदी है गंडक नदी गंडक नदी भी बिहार में पशमी चंपारण जिला में इंटर करती है और कुछ दूर बिहार-यूपी का बॉर्डर बनाती हुई यह नदी भी गंगा नदी में पहलेजा घाट के पास मिल जाती है

तीसरी नदी है बूढ़ी गंडक यह नहीं भी चंपारण जिले से निकलते हुए गंगा में आकर मिल जाती है

चौथ की नदी है कर्मनाशा जो कुछ दूर तक बॉर्डर निर्माण करती है कर्मनाशा नदी को अपवित्र नदी भी कहा जाता है

 

क्या आप जानते है उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार की नदी एक दूसरे की विपरीत क्यों बहती है

इस का वजह है बिहार की भूमि की बनावट और बिहार के बीचो- बीच गंगा का बहना
बिहार में भुमि की बनावट दोनों साइड से ऊंची और बिच में नीची और ढलान है यही कारन है की उत्तर बिहार की नदी उत्तर से दक्षिण पूर्व और दक्षिण बिहार की नदिया दक्षिण से उत्तर पूर्व की ओर बहती है

 

बिहार का अपवित्र नदी किस नदी को कहा जाता है और बिहार का सब से पुराना नदी परियोजना कौन सा है

दक्षिण भारत में बहने वाली प्रमुख नदियों में से एक एक प्रमुख नदी कर्मनाशा नदी है यह नदी भी कुछ दूर तक बिहार और यूपी के साथ बॉर्डर निर्माण करती है जैसा कि हमने पहले बताया कि उत्तर बिहार में बहने वाली नदी घाघरा, गंडक, बूढ़ी गंडक नदी तो यूपी के साथ बॉर्डर बनाती ही है इसके इलावा कर्मनाशा नदी भी यूपी के साथ कुछ दूर तक बॉर्डर निर्माण करती है दक्षिण बिहार की नदी कर्मनाशा भी है कर्मनाशा नदी बक्सर में चौसा के पास गंगा नदी में विलय हो जाती है कर्मनाशा नहीं को अपवित्र नदी कहा जाता है

दक्षिण बिहार की दूसरी सबसे प्रमुख नदी सोन नदी है यह नदी अमरकंटक मध्य प्रदेश से झारखंड होते हुए बिहार में आकर दानापुर जो पटना के पास है वहां गंगा में मिल जाती है सोन नदी ही वह पहला नदी है जहां पर सोन नदी परियोजना बनाई गई थी जो बिहार का सबसे पुरानी परियोजनाओं है यह परिजनों है जो 1874 में अंग्रेजों के टाइम में ही बनाया गया था.

बिहार का सब से पुराना नदी परियोजना सोन नदी परियोजना है

बिहार की राजधानी पटना किन नदीयो के संगम पर बसा हुआ है

उत्तर बिहार की नदी गंडक, गंगा में जिस जगह मिलती है उसी जगह दूसरी ओर से सोन नदी गंगा में मिलती है इस प्रकार गंगा नदी में एक मुहाना का निर्माण होता है यानी कि गंगा नदी एक संगम का निर्माण करता है, गंडक , सोन नदी और गंगा नदी  के संयोग से, बिहार की राजधानी पटना इसी संगम के किनारे बसा हुआ है
अभी तक शायद आपको मालूम होगा कि पटना गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है यह भी बात सत्य है कि पटना गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है लेकिन यह भी प्रश्न बनता है कि पटना किस किस नदी के संगम पर बसा हुआ है तो इसका जवाब होगा गंडक, सोन और गंगा तीनों ही नदी के संगम पर पटना शहर बसा है

 

मध्य प्रदेश से बिहार आने वाली नदियाँ

दक्षिण बिहार में बहनने वाली एक प्रमुख पुनपुन नदी है यह नदी भी मध्य प्रदेश से बहती हुई आती है और पटना जिला होते हुए गंगा नदी में मिल जाती है पुनपुन दूसरी नदी है जो मध्य प्रदेश से आती है पुनपुन नदी गंगा नदी जिस स्थान पर जाकर गंगा में मिलती है उस स्थान का नाम है फतुहा है
दूसरा नदी सोन नदी है जो मध्य प्रदेश से आती है

फल्गु या निरंजना नदी

फल्गु या निरंजना नदी दक्षिण बिहार में बहने वाली प्रमुख नदी है फल्गु नदी वही फल्गु नदी इसे निरंजना के नाम से भी जाना जाता है जिस नदी के किनारे गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी यह नदी बोधगया से बहते हुए गंगा नदी में मिलती है इस नदी का महत्व तब बढ़ जाता है जब महात्मा गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति बोधगया में इसी फल्गु नदी के किनारे हुआ था

इस प्रकार दक्षिण बिहार में और भी कई अन्य छोटी-छोटी नदिया जैसे अजय क्यूल आदि नदी भी बहती है

 

बिहार की नदियाँ और उसका उद्गम स्थान

 

River Origin मुहाना Remarks
Ganga Gangotri UK Bay of Bengal Lenth in Bihar – 445km
Gandak Middle Himalaya Nepal Pahleja Ghat (Ganga) Saryu River
Ghaghara Nampa Series Nepal Chapra (Ganga)
Budi Gandak Someswar Pahari Munger (Ganga)
Kosi Saptkosiki Nepal Purnea (Ganga) Sorrow of Bihar
Mahananda Mahabharat Series Nepal Katihar (Ganga) उत्तर बिहार की सबसे पूर्व स्थित नदी
Son Amarkantak MP Danapur (Ganga)
Karmnasha Vindhiyachal Chosa (Ganga) अपवित्र नदी
Punpun Patharia  Reason MP Phatuha (Ganga)
Falgu Chota Nagpur Ganga निरंजना नदी

 

बिहार की मुख्या नहर परियोजना या बिहार की मुख्या नदी परियोजना

 

बिहार में मुख्य रूप से 3 नदी में परियोजनाओं का निर्माण किया गया है गंडक, कोसी और कमला इन परियोजनाओं के माध्यम से अलग-अलग नारों से होकर दूर-दराज तक सिंचाई के लिए पानी भेजी जाती है सबसे ज्यादा नाहर गंडक नदी पर बनाया गया है

जैसे त्रिवेणी, त्रिहुट , तेउर , राजपुर नहर आदि,

Nahar – नहर  Nadi – नदी 
Triveni Gandak
Tirhut Gandak
Saran Gandak
Teur Gandak
Rajpur Kosi
Kamla Kamla River

 

Conclusion : इस पोस्ट से उम्मीद है की बिहार की नदियों के बारे में काफी सार्थक जानकारी मिली होगी और बेहतर अपडेट अधिक गुणवत्ता पूर्ण जानकारी के लिए किर्पया फीडबैक साझा करें 

 

FAQs

 

Question : Which River is known as Sorrow of Bihar

Ans : Kosi River

Question : The Lenth of the Ganga River in Bihar

Ans: 445 km

Question :Longest River in Bihar

Ans : The Ganga River is the longest River in Bihar, Total Length of Ganga River is 2525 km but in Bihar 445 km long running.

Question : How many district touches ganga River in Bihar

Ans :

12 Districts

  1. Buxar
  2. Bhojpur
  3. Saran
  4. Patna
  5. Vaishali
  6. Lakhisarai
  7. Samastipur
  8. Munger
  9. Begusarai
  10. Khagaria
  11. Bhagalpur
  12. Katihar

Question : कोसी नदी का उद्गम स्थल कहा है कोसी नदी कहां से निकलती है

Ans: सप्तकोशीकी , हिमालय, नेपाल

Question : कोसी नदी गंगा में कहां मिलती है

Ans: कुर्सेला के पास कटिहार जिला में गंगा में मिल जाती है.

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1 thought on “Sorrow of Bihar”

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